Sunday, 19 June 2011

जब जब वो याद आए


जब  जब  वो  याद  आए
एक  अनछुए  एहसास  का  वक्त  कभी  इख़्तियार  न
  किया  था  हमने ,
लोग  कहते  हैं  हमे  अब  वो  होने  लगा  है ,

दिख  जाता  हैं  मेरी  नज़रो  में  हया  का  वो  पर्दा ,जो  लहराता  था  अब  तक  वो  नज़रे  ढकने  लगा  है ,

मुस्कराहट  में  मेरी अल्हड़ता  की  जगह  शरारत  ने  ली 
 है ,
आइना  देख  देख  अब  कोई  मुस्कुराने  लगा  है ,

साफ  अश्को  के  छलकने  में  वो  सफेदी  न  रही 
कि  मेरे  अश्को  संग  उनका  चेहरा  बहने  लगा  है ,

रह  रह  कर  उन्हें  हम  याद  करते  हैं ,
हाँ .. मेरे  इश्क  का  कारवां  चलने  लगा  है .