Sunday, 19 June 2011

जब जब वो याद आए


जब  जब  वो  याद  आए
एक  अनछुए  एहसास  का  वक्त  कभी  इख़्तियार  न
  किया  था  हमने ,
लोग  कहते  हैं  हमे  अब  वो  होने  लगा  है ,

दिख  जाता  हैं  मेरी  नज़रो  में  हया  का  वो  पर्दा ,जो  लहराता  था  अब  तक  वो  नज़रे  ढकने  लगा  है ,

मुस्कराहट  में  मेरी अल्हड़ता  की  जगह  शरारत  ने  ली 
 है ,
आइना  देख  देख  अब  कोई  मुस्कुराने  लगा  है ,

साफ  अश्को  के  छलकने  में  वो  सफेदी  न  रही 
कि  मेरे  अश्को  संग  उनका  चेहरा  बहने  लगा  है ,

रह  रह  कर  उन्हें  हम  याद  करते  हैं ,
हाँ .. मेरे  इश्क  का  कारवां  चलने  लगा  है .

11 comments:

आशुतोष की कलम said...

किसी ने सही ही कहा है
"मुहब्बत करने वाले खुबसूरत लोग होते हैं.."

लेखनी से आप के इश्क का कारवा चलता रहे ऐसी मेरी दुआ है ...

Unknown said...

रह रह कर उन्हें हम याद करते हैं ,


JAI BABA BANARAS.........

दीपक 'मशाल' said...

achchha likh rahi hain aap.. keep writing.

shikha varshney said...

सुन्दर लिखा है ..लिखती रहें.

manasvinee mukul said...

आशुतोष जी,पूर्वीय जी,दीपक जी,शिखा जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ...

udaya veer singh said...

रह रह कर उन्हें हम याद करते हैं ,
हाँ .. मेरे इश्क का कारवां चलने लगा है .

aks men jab ask dikhayi dene lagen to manjil-e-makul mahsus hoti hai .... shubhkamnayen ji ../

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...बधाई

वीना श्रीवास्तव said...

बढ़िया लगा...

vijay kumar sappatti said...

बहुत ही सच्ची और अच्छी कविता , मन में बस गये है इसके सारे शब्द .. बहुत ही सुन्दर भाव..
बधाई

आभार

विजय

कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

Dorothy said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर लेखन...
सादर शुभकामनाएं....