एक अनछुए एहसास का वक्त कभी इख़्तियार न
किया था हमने ,
लोग कहते हैं हमे अब वो होने लगा है ,
है ,
आइना देख देख अब कोई मुस्कुराने लगा है ,साफ अश्को के छलकने में वो सफेदी न रही
कि मेरे अश्को संग उनका चेहरा बहने लगा है ,
हाँ .. मेरे इश्क का कारवां चलने लगा है .
11 comments:
किसी ने सही ही कहा है
"मुहब्बत करने वाले खुबसूरत लोग होते हैं.."
लेखनी से आप के इश्क का कारवा चलता रहे ऐसी मेरी दुआ है ...
रह रह कर उन्हें हम याद करते हैं ,
JAI BABA BANARAS.........
achchha likh rahi hain aap.. keep writing.
सुन्दर लिखा है ..लिखती रहें.
आशुतोष जी,पूर्वीय जी,दीपक जी,शिखा जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ...
रह रह कर उन्हें हम याद करते हैं ,
हाँ .. मेरे इश्क का कारवां चलने लगा है .
aks men jab ask dikhayi dene lagen to manjil-e-makul mahsus hoti hai .... shubhkamnayen ji ../
बहुत सुन्दर...बधाई
बढ़िया लगा...
बहुत ही सच्ची और अच्छी कविता , मन में बस गये है इसके सारे शब्द .. बहुत ही सुन्दर भाव..
बधाई
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
सुन्दर लेखन...
सादर शुभकामनाएं....
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